केरल की जानकी अम्माल वनस्पतिशास्त्र की वैज्ञानिक थीं। उन्होंने गन्नों की हाइब्रिड प्रजाति की खोज और क्रॉस ब्रीडिंग पर शोध किया था जिसे पूरी दुनिया में मान्यता मिली। इस योगदान के लिए 1957 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।


 2- आनंदीबाई जोशी: पुणे की आनंदीबाई गोपालराव जोशी भारत की पहली महिला फिजीशयन थीं, जिन्होंने विदेश में डॉक्टर की डिग्री हासिल की। भारत लौटने के बाद इन्होंने चिकित्सा विज्ञान और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम किया।


 3- असीमा चटर्जी: कैंसर चिकित्सा, मिर्गी और मलेरिया रोधी दवाओं के विकास के लिये प्रसिद्ध असीमा चटर्जी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्हें किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ साइंस की उपाधि दी गई थी। 


4- अन्ना मणि: मूल रूप से भौतिकशास्त्री अन्ना मणि एक मौसम वैज्ञानिक थीं। उन्होंने सी.वी. रमन के साथ मिलकर ने सौर विकिरण, ओजोन परत और वायु ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया।


5- कमल रणदिवे: जीव वैज्ञानिक कमल रणदिवे का देश में कैंसर के उपचार की व्यवस्था को शुरू करने में अहम योगदान माना जाता है। कुष्ठ रोग निवारण के क्षेत्र में काम के लिए ही उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 


6- मुथैया वनिता: ये भारत में दूसरे चंद्रयान मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं। मुथैया इसरो में इस स्तर का काम करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। इन्होंने मैपिंग के लिये इस्तेमाल होने वाले पहले भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह कार्टोसैट-1 और दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह ओशनसैट-2 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साल 2006 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 


7- रितु करिधल: चंद्रयान-1 मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर रह चुकी रितु करिधल भारत के सबसे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं। साल 2007 में इन्हें इसरो के यंग साइंटिस्ट ऑवार्ड से सम्मानित किया गया। 


8- टेसी थॉमस: भारत की मिसाइल महिला और अग्निपुत्री के नाम से मशहूर टेसी थॉमस ने DRDO में अपने काम से सबका ध्यान आकर्षित किया। इन्होंने भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में काफी योगदान दिया है।


9- कल्पना चावला: कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। वह 376 घंटे 34 मिनट तक अंतरिक्ष में रहीं। इस दौरान उन्होंने धरती के 252 चक्कर लगाए थे। 1 फरवरी 2003 को हुई अंतरिक्ष दुर्घटना में सात अंतरिक्ष यात्रियों सहित उनकी मौत हो गई।


10- सुनीता विलियम्स: सुनीता विलियम्स अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। सुनीता विलियम्स ने एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।

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 2- आनंदीबाई जोशी: पुणे की आनंदीबाई गोपालराव जोशी भारत की पहली महिला फिजीशयन थीं, जिन्होंने विदेश में डॉक्टर की डिग्री हासिल की। भारत लौटने के बाद इन्होंने चिकित्सा विज्ञान और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम किया।


 3- असीमा चटर्जी: कैंसर चिकित्सा, मिर्गी और मलेरिया रोधी दवाओं के विकास के लिये प्रसिद्ध असीमा चटर्जी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्हें किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ साइंस की उपाधि दी गई थी। 


4- अन्ना मणि: मूल रूप से भौतिकशास्त्री अन्ना मणि एक मौसम वैज्ञानिक थीं। उन्होंने सी.वी. रमन के साथ मिलकर ने सौर विकिरण, ओजोन परत और वायु ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया।


5- कमल रणदिवे: जीव वैज्ञानिक कमल रणदिवे का देश में कैंसर के उपचार की व्यवस्था को शुरू करने में अहम योगदान माना जाता है। कुष्ठ रोग निवारण के क्षेत्र में काम के लिए ही उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 


6- मुथैया वनिता: ये भारत में दूसरे चंद्रयान मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं। मुथैया इसरो में इस स्तर का काम करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। इन्होंने मैपिंग के लिये इस्तेमाल होने वाले पहले भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह कार्टोसैट-1 और दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह ओशनसैट-2 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साल 2006 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 


7- रितु करिधल: चंद्रयान-1 मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर रह चुकी रितु करिधल भारत के सबसे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं। साल 2007 में इन्हें इसरो के यंग साइंटिस्ट ऑवार्ड से सम्मानित किया गया। 


8- टेसी थॉमस: भारत की मिसाइल महिला और अग्निपुत्री के नाम से मशहूर टेसी थॉमस ने DRDO में अपने काम से सबका ध्यान आकर्षित किया। इन्होंने भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में काफी योगदान दिया है।


9- कल्पना चावला: कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। वह 376 घंटे 34 मिनट तक अंतरिक्ष में रहीं। इस दौरान उन्होंने धरती के 252 चक्कर लगाए थे। 1 फरवरी 2003 को हुई अंतरिक्ष दुर्घटना में सात अंतरिक्ष यात्रियों सहित उनकी मौत हो गई।


10- सुनीता विलियम्स: सुनीता विलियम्स अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। सुनीता विलियम्स ने एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।

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