मारियाना ट्रेंच की विशेषता यह है कि इसकी गहराई इसे धरती की सबसे खतरनाक जगहों में से एक बनाती है। यहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती है। यहाँ का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस है जो जमा देने की क्षमता रखता है। यहाँ पानी का दाब इतना अधिक होता है कि इंसानी हड्डियों को पल में चकनाचूर कर सकता है। यहां हर स्क्वेयर इंच पर 8 टन का दबाव होता है जो गहराई के साथ और भी ज्यादा बढ़ता जाता है। पानी का यह दबाव इंसानी शरीर पर इस तरह असर करता है कि ऐसा कोई भी हिस्सा जहां हवा भरी हो, वह बाकी नहीं रह जाता। धीरे-धीरे फेफड़े धंस जाते हैं और हड्डियां टूट जाती हैं।
इस खाई के सतह पर छिद्रों से कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड निकलते रहते हैं। यहाँ मिट्टी के कई सक्रिय ज्वालामुखी पाए गए हैं। इस खाई के अंदर का दबाव समुद्री सतह के दबाव के मुकाबले 1000 गुना ज्यादा है। इसके बावजूद भी यहाँ कई प्रकार के जीव जंतुओं का वास है। मरियाना ट्रेंच के दक्षिणी भाग में चैलेंजर डीप है, जो दुनिया का सबसे गहरा स्थान है।
इस जगह पर किये गए वैज्ञानिक अभियान के आधार पर यह पता चला है कि रुखा एवं कठोर वातावरण होने पर भी यहाँ विभिन्न प्राणियों का वास है। घोर अन्धकार एवं तेज दबाव में भी प्राणी यहाँ वास कर रहे हैं। यहाँ खाने की व्यवस्था काफी सीमित है। यहाँ पाए जाने वाले क्सेनोफायोफोर्स एक कोशिकीय प्राणी हैं जो अमीबा के सामान दिखते हैं, ये अपने खाने को घेरकर सोख लेते हैं। 200 से ज्यादा सूक्ष्मजीवियों से लेकर क्रस्टेशियन और ऐंफपॉड समेत सी क्युकूंबर, ऑक्टोपस और मछलियां यहां मौजूद हैं। 2014 में गुआम के पास सबसे गहराई में 8000 मीटर नीचे पाई जाने वाली स्नेलफिश की खोज की गई।
रिसर्चर्स का कहना है कि इस गहरी खाई के रहस्य उजागर करने से दवाओं, खाद्य, ऊर्जा स्रोत जैसे उत्पाद तो मिल ही सकते हैं, भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं से बचने की तैयारी की जा सकती है। यहाँ गहरे समुद्र में रहने वाले ऐसे सूक्ष्मजीवी मिले हैं जो ऐंटीबायॉटिक और ऐंटी-कैंसर दवाओं के काम आ सकते हैं। ऐसे में यहां रिसर्च से डायबिटीज के इलाज से लेकर लॉन्ड्री डिटर्जेंट जैसी जरूरतों तक को पूरा किया जा सकेगा। लेकिन दिलचस्प बात है कि एक तरफ जहाँ करीब 1000 लोग अब तक सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है। वहीं महज 3 व्यक्ति ही सबसे गहरी खाई मरियाना ट्रेंच तक जा सके हैं।
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मारियाना ट्रेंच की विशेषता यह है कि इसकी गहराई इसे धरती की सबसे खतरनाक जगहों में से एक बनाती है। यहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती है। यहाँ का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस है जो जमा देने की क्षमता रखता है। यहाँ पानी का दाब इतना अधिक होता है कि इंसानी हड्डियों को पल में चकनाचूर कर सकता है। यहां हर स्क्वेयर इंच पर 8 टन का दबाव होता है जो गहराई के साथ और भी ज्यादा बढ़ता जाता है। पानी का यह दबाव इंसानी शरीर पर इस तरह असर करता है कि ऐसा कोई भी हिस्सा जहां हवा भरी हो, वह बाकी नहीं रह जाता। धीरे-धीरे फेफड़े धंस जाते हैं और हड्डियां टूट जाती हैं।
इस खाई के सतह पर छिद्रों से कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड निकलते रहते हैं। यहाँ मिट्टी के कई सक्रिय ज्वालामुखी पाए गए हैं। इस खाई के अंदर का दबाव समुद्री सतह के दबाव के मुकाबले 1000 गुना ज्यादा है। इसके बावजूद भी यहाँ कई प्रकार के जीव जंतुओं का वास है। मरियाना ट्रेंच के दक्षिणी भाग में चैलेंजर डीप है, जो दुनिया का सबसे गहरा स्थान है।
इस जगह पर किये गए वैज्ञानिक अभियान के आधार पर यह पता चला है कि रुखा एवं कठोर वातावरण होने पर भी यहाँ विभिन्न प्राणियों का वास है। घोर अन्धकार एवं तेज दबाव में भी प्राणी यहाँ वास कर रहे हैं। यहाँ खाने की व्यवस्था काफी सीमित है। यहाँ पाए जाने वाले क्सेनोफायोफोर्स एक कोशिकीय प्राणी हैं जो अमीबा के सामान दिखते हैं, ये अपने खाने को घेरकर सोख लेते हैं। 200 से ज्यादा सूक्ष्मजीवियों से लेकर क्रस्टेशियन और ऐंफपॉड समेत सी क्युकूंबर, ऑक्टोपस और मछलियां यहां मौजूद हैं। 2014 में गुआम के पास सबसे गहराई में 8000 मीटर नीचे पाई जाने वाली स्नेलफिश की खोज की गई।
रिसर्चर्स का कहना है कि इस गहरी खाई के रहस्य उजागर करने से दवाओं, खाद्य, ऊर्जा स्रोत जैसे उत्पाद तो मिल ही सकते हैं, भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं से बचने की तैयारी की जा सकती है। यहाँ गहरे समुद्र में रहने वाले ऐसे सूक्ष्मजीवी मिले हैं जो ऐंटीबायॉटिक और ऐंटी-कैंसर दवाओं के काम आ सकते हैं। ऐसे में यहां रिसर्च से डायबिटीज के इलाज से लेकर लॉन्ड्री डिटर्जेंट जैसी जरूरतों तक को पूरा किया जा सकेगा। लेकिन दिलचस्प बात है कि एक तरफ जहाँ करीब 1000 लोग अब तक सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है। वहीं महज 3 व्यक्ति ही सबसे गहरी खाई मरियाना ट्रेंच तक जा सके हैं।
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