हैरानी का बात लगती है लेकिन इस साल के पहले तक वैज्ञानिक इस बात की सही व्याख्या नहीं कर पा रहे थे कि शनि ग्रह के खूबसूरत छल्लों का निर्माण कैसे हुआ। एमआईटी और यूसी बर्केले के खगोलविदों ने सिद्धांत सुझाया कि एक समय शनि का एक बर्फीला चंद्रमा हुआ करता था जिसे क्रिसालिस नाम दिया गया है। 16 करोड़ साल पहले क्रिसालिस ग्रह और दूसरे चंद्रमा टाइटन के टकराव से बिखर गया होगा और उसी के टुकड़े अब शनि के छल्लों के रूप में दिखाई देते हैं।
वार्महोल की उपस्थिति की सम्भावना-
इसी साल एक नए अध्ययन में बताया गया कि ब्लैक होल और व्हाइट होल आपस में वार्महोल के जरिए जुड़ सकते हैं जो एक तरह का स्पेसटाइम के पाइप की तरह काम कर सकता है। इसमें बताया गया है कि वार्महोल वास्तव में अस्तित्व में हो सकते हैं और हो सकता है कि हम उन्हें देख चुके हों, लेकिन पहचान न सके हों। शोध में तार्किक तौर पर दावा किया गया कि ब्लैक होल के अंदर ही वार्महोल की उपस्थिति के प्रमाण हो सकते हैं। वार्म होल के बारे में कहा जाता है वे समय की यात्रा को आसान बना सकते हैं और कई प्रकाशवर्ष की दूरी कुछ ही क्षणों में तय हो सकती है।
परमाणु फ्यूजन संयंत्र में बड़ी सफलता-
इस साल की शुरुआत में चीनी वैज्ञानिकों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामैक (EAST) नाम का एक परमाणु फ्यूजन संयंत्र में एक रिकॉर्ड बनाया है जिसमें 7 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे ज्यादा 1056 सेकेंड तक कायम रखने में सफलता पाई है। इस उपलब्धि से वैज्ञानिकों ने अनंत स्वच्छ ऊर्जा के विकास की दिशा में एक अहम कदम आगे बढ़ाया है। इससे पहले यह रिकॉर्ड 101 सेकेंड का था। वहीं, दिसंबर में नेशनल अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने फ्यूजन तकनीक में बड़ी सफलता प्राप्त करने की घोषणा की है। उम्मीद है कि इसकी मदद से राष्ट्रीय रक्षा में प्रगति और स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।
नासा का डार्ट मिशन
इस साल अक्टूबर में नासा का डार्ट सैटेलाइट अभियान डिमोर्फोस नाम के क्षुद्रग्रह से सटीक निशाने पर टकराया था। यह अभियान पृथ्वी की ओर आने वाले उल्कापिंडों और क्षुद्रग्रहों को रास्ते में ही खत्म करने के लिए बनाया गया है जो पृथ्वी से टकराने वाले हैं। इस अभियान की सफलता से पृथ्वी को क्षुद्रग्रह जैसे पिंडों के टकराव से बचाने में मदद मिलेगी। वहीं, नवम्बर में नासा के आर्टिमिस 1 अभियान की सफलता चर्चा में रही। इस अभियान के जरिये इंसान को फिर से चन्द्रमा पर ले जाने और वहां एक बेस कैंप बनाने की तैयारी है।
जेनेटिकली मॉडिफाइड हृदय प्रत्यारोपण-
इस साल जनवरी में अमेरिका के 57 साल के डेविड बेनेट नामक व्यक्ति को अनुवांशकीय तौर पर परीष्कृत सुअर का हृदय प्रत्यारोपित किया गया। यह सफल ऑपरेशन मैरीलैंड मेटिकल सेंटर यूनिवर्सिटी केएमडी और कार्डोयोथोरेसिक सर्जन बार्टिले ग्राफिथ ने किया। यह ऑपरेशन चिकित्सा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखी जा रही है जिससे जेनोट्रांसप्लांटेशन जैसी नई चिकित्सकीय शाखा के द्वार खुल जाएंगे।
इसके अलावा, COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए mRNA जैसे नई पीढ़ी के टीकों के विकास में सफलता ने अन्य वायरस और बीमारियों के लिए एंटीबॉडी की खोज की अनुमति दी है। इसमें मलेरिया, तपेदिक, जननांग दाद, एचआईवी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, कैंसर और विभिन्न प्रकार के फेफड़ों के रोग जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।
हैरानी का बात लगती है लेकिन इस साल के पहले तक वैज्ञानिक इस बात की सही व्याख्या नहीं कर पा रहे थे कि शनि ग्रह के खूबसूरत छल्लों का निर्माण कैसे हुआ। एमआईटी और यूसी बर्केले के खगोलविदों ने सिद्धांत सुझाया कि एक समय शनि का एक बर्फीला चंद्रमा हुआ करता था जिसे क्रिसालिस नाम दिया गया है। 16 करोड़ साल पहले क्रिसालिस ग्रह और दूसरे चंद्रमा टाइटन के टकराव से बिखर गया होगा और उसी के टुकड़े अब शनि के छल्लों के रूप में दिखाई देते हैं।
वार्महोल की उपस्थिति की सम्भावना-
इसी साल एक नए अध्ययन में बताया गया कि ब्लैक होल और व्हाइट होल आपस में वार्महोल के जरिए जुड़ सकते हैं जो एक तरह का स्पेसटाइम के पाइप की तरह काम कर सकता है। इसमें बताया गया है कि वार्महोल वास्तव में अस्तित्व में हो सकते हैं और हो सकता है कि हम उन्हें देख चुके हों, लेकिन पहचान न सके हों। शोध में तार्किक तौर पर दावा किया गया कि ब्लैक होल के अंदर ही वार्महोल की उपस्थिति के प्रमाण हो सकते हैं। वार्म होल के बारे में कहा जाता है वे समय की यात्रा को आसान बना सकते हैं और कई प्रकाशवर्ष की दूरी कुछ ही क्षणों में तय हो सकती है।
परमाणु फ्यूजन संयंत्र में बड़ी सफलता-
इस साल की शुरुआत में चीनी वैज्ञानिकों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामैक (EAST) नाम का एक परमाणु फ्यूजन संयंत्र में एक रिकॉर्ड बनाया है जिसमें 7 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे ज्यादा 1056 सेकेंड तक कायम रखने में सफलता पाई है। इस उपलब्धि से वैज्ञानिकों ने अनंत स्वच्छ ऊर्जा के विकास की दिशा में एक अहम कदम आगे बढ़ाया है। इससे पहले यह रिकॉर्ड 101 सेकेंड का था। वहीं, दिसंबर में नेशनल अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने फ्यूजन तकनीक में बड़ी सफलता प्राप्त करने की घोषणा की है। उम्मीद है कि इसकी मदद से राष्ट्रीय रक्षा में प्रगति और स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।
नासा का डार्ट मिशन
इस साल अक्टूबर में नासा का डार्ट सैटेलाइट अभियान डिमोर्फोस नाम के क्षुद्रग्रह से सटीक निशाने पर टकराया था। यह अभियान पृथ्वी की ओर आने वाले उल्कापिंडों और क्षुद्रग्रहों को रास्ते में ही खत्म करने के लिए बनाया गया है जो पृथ्वी से टकराने वाले हैं। इस अभियान की सफलता से पृथ्वी को क्षुद्रग्रह जैसे पिंडों के टकराव से बचाने में मदद मिलेगी। वहीं, नवम्बर में नासा के आर्टिमिस 1 अभियान की सफलता चर्चा में रही। इस अभियान के जरिये इंसान को फिर से चन्द्रमा पर ले जाने और वहां एक बेस कैंप बनाने की तैयारी है।
जेनेटिकली मॉडिफाइड हृदय प्रत्यारोपण-
इस साल जनवरी में अमेरिका के 57 साल के डेविड बेनेट नामक व्यक्ति को अनुवांशकीय तौर पर परीष्कृत सुअर का हृदय प्रत्यारोपित किया गया। यह सफल ऑपरेशन मैरीलैंड मेटिकल सेंटर यूनिवर्सिटी केएमडी और कार्डोयोथोरेसिक सर्जन बार्टिले ग्राफिथ ने किया। यह ऑपरेशन चिकित्सा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखी जा रही है जिससे जेनोट्रांसप्लांटेशन जैसी नई चिकित्सकीय शाखा के द्वार खुल जाएंगे।
इसके अलावा, COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए mRNA जैसे नई पीढ़ी के टीकों के विकास में सफलता ने अन्य वायरस और बीमारियों के लिए एंटीबॉडी की खोज की अनुमति दी है। इसमें मलेरिया, तपेदिक, जननांग दाद, एचआईवी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, कैंसर और विभिन्न प्रकार के फेफड़ों के रोग जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।